सट्टा मटका एक भारतीय जुआ खेल है, जो की १९६० के दशक में उत्पन्न हुआ था। इस खेल में खिलाड़ी १ से १०० के बीच किसी एक संख्या पर बेट करते हैं और फिर परिणाम का इंतजार करते हैं। इस खेल का परिणाम “खोलने कार्ड” या कंप्यूटर प्रोग्राम के द्वारा तय होता है। यह खेल भारत में बहुत प्रसिद्ध है, खासकर मुंबई क्षेत्र में। लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि कई जगहों पर जुआ अवैध है, भारत के कुछ क्षेत्रों में भी।
सट्टा मटका इतिहास
सट्टा मटका की उत्पत्ति १९६० के दशक में हुई थी। यह भारत में मुंबई के जुआ खिलाड़ियों के बीच प्रसिद्ध हुआ। इस खेल में खिलाड़ी एक संख्या पर बेट करते हैं और फिर परिणाम का इंतजार करते हैं। खेल के परिणाम को “खोलने कार्ड” या कंप्यूटर प्रोग्राम द्वारा तय किया जाता है। यह खेल भारत में कई लोगों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि कई जगहों पर इसे अवैध माना जाता है।
सट्टा मटका का इतिहास मुंबई के दरवाजे नामक इलाके से जुड़ा है, जहां भारतीय नौकरशाहों के बीच इस खेल को शुरू किया गया था। समय के साथ, यह खेल बड़े और बड़े शहरों में फैल गया, जैसे कि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, और चेन्नई। यह खेल आमतौर पर हफ्ते के दिनों में खेला जाता है, जिसमें खिलाड़ी अपनी संख्या पर बेट लगाते हैं और परिणाम का इंतजार करते हैं। लेकिन ध्यान देने योग्य है कि यह खेल कई अनियमितताओं और कानूनी प्रतिबंधों के साथ आता है, और इसमें बड़े नुकसान का जोखिम होता है।
“Darwaza” एक क्षेत्र है जो मुंबई में स्थित है। इस क्षेत्र में “सट्टा मटका” खेल का प्रारंभ हुआ था। इसलिए, इस क्षेत्र को खेल के इतिहास में महत्वपूर्ण रूप से याद किया जाता है।